बाबाजी की जय हो

बाबाजी की जय हो|


बाबाजी बहोत ज्ञानी थे, 
बस्स उनके अनुयायी बिलकुल हरामी थे|

बाबाजी तो धर्म का प्रचार करते थे,
अनुयायी तो संप्रदाय बनाकर उस का प्रसार करते थे|
बाबाजी तो सभ्यता और संस्कृति के आग्रही थे,
अनुयायी तो रूढ़ि परंपरा लोगों मे थोंपना चाहते थे|
बाबाजी सत्य के पथपर चलने का आदर्श रखते थे, 
अनुयायी झूठ फैलाकर जुमलेबाजी किया करते थे|
बाबाजी के आशीर्वाद के लिये लोक दिवाने थे,
अनुयायी लोगो को चुनकर पंथ बनवाने मे लगे हुएँ थे|

बाबाजी बहोत ज्ञानी थे, 
बस्स उनके अनुयायी बिलकुल हरामी थे|

बाबाजी गांधीवादी होकर सत्य, अहिंसा के पुजारी बने थे, 
अनुयायी तो नथुरामायण का खेल चलाकर हिंसा को चमकाते थे|
बाबाजी तो दिनभर पुजा अर्चा, किर्तन पाठ कर के दिन गुजारते थे, 
अनुयायी तो उसी की सिस्टिम बनाकर घर बसाते थे|
बाबाजी वसुधैव कुटुंबकम् बोलकर तल्लीन हो जाते थे, 
अनुयायी तो बाबाजी को विश्व की सैर करवाते थे|
बाबाजी का संवाद हर सजीव, निर्जीव से होता था, 
अलग अलग देशो मे बाबाजी की प्रतिमा बढाकर अनुयायी का दुकान चलता था|

बाबाजी बहोत ज्ञानी थे, 
बस्स उनके अनुयायी बिलकुल हरामी थे|

बाबाजी का ध्येय तो विश्व कल्याण का था, 
अनुयायी तो कल्याणकारी होकर विश्वभर फैल चुके थे|
बाबाजी सब जनता के प्यारे थे, 
अनुयायी को लेकर सब महिलाए हैरान थी|
बाबाजी का संकल्प बहोत ही दृढ था, 
अनुयायी तो चुनिंदा सरकारों की विकल्प थी|
बाबाजी महान ज्ञानी पंडित बनना चाहते थे, 
अनुयायी तो उनको सर्वज्ञानी महात्मा बना चुके थे|

बाबाजी बहोत ज्ञानी थे, 
बस्स उनके अनुयायी बिलकुल हरामी थे|

बाबाजी हर एक से प्रेम से वार्तालाप किया करते थे, 
अनुयायी की ऑंखे लाल देखकर भक्त लोग परेशान थे|
बाबाजी को सेवाभावी शिष्यो की प्रतिक्षा थी, 
अनुयायी ने तो अंधभक्तोकी फौज बनाकर रखी थी|
बाबाजी हर साल जन्मदिन पर दानधर्म का पुण्य कर्म करते थे, 
अनुयायी तो उसी के लिए सालभर जोर जबरदस्ती चंदा जमा करते थे|
बाबाजी की मुस्कुराहट बहोत ही प्यारी हुआ करती थी, 
अनुयायी तो वही छबी बनाकर मुर्तीया, तसबीर बेचा करते थे|

बाबाजी बहोत ज्ञानी थे, 
बस्स उनके अनुयायी बिलकुल हरामी थे|

बाबाजी दुनिया के सब देशो में विश्वशांती की प्रेरणा बन चुके थे, 
अनुयायी तब अशांतता के स्रोत पैदा करने मे लगे थे|
बाबाजी की इच्छा थी की पुरे विश्व मे सिर्फ मानवता का ही धर्म हो, 
अनुयायी ने तो सब धर्म से मानवता हटाने की ठान ली थी|
बाबाजी कहते, मोक्ष ही अंतिम सत्य है,
अनुयायी जो पसंद नहीं उनको मौत के घाट उतारके मोक्ष दिलवाते थे|
बाबाजी सब जानते थे, अनुयायी से डरकर मौन हो जाते थे,
क्या पता उनको ही मारकर चिरंजीव समाधी बताकर अनुयायी नया संप्रदाय बना सकते थे|

बाबाजी बहोत ज्ञानी थे, 
बस्स उनके अनुयायी बिलकुल हरामी थे|

अंत मे हुआ वही जो अनुयायी चाहते थे,
बाबाजी का देहांत हो गया महानिर्वाण और जन्मदिन बनाया गया जन्मोत्सव|

बाबाजी की जय हो|



© भूषण वर्धेकर 
३० एप्रिल २०२४
तिरुपती, आंध्रप्रदेश 

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